दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चल रही तनातनी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति और न्यायिक व्यवस्था पर चल रहे विवाद को लेकर केजरीवाल ने कहा कि पीएम मोदी अब न्यायपालिका के साथ वैसा ही ट्रीटमेंट कर रहे हैं, जैसा कि वो आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के साथ करते हैं.

अरविंद केजरीवाल ने ये बातें अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखी हैं. उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) नेता आशुतोष के एक ट्वीट को रि-ट्वीट करते हुए लिखा, "प्रधानमंत्री न्यायपालिका के साथ उसी तरह व्यवहार कर रहे हैं जैसे वह दिल्ली सरकार के साथ व्यवहार करते हैं."

दरअसल, आप नेता आशुतोष ने शुक्रवार को ट्वीट किया, "मोदी ने दिल्ली सरकार के साथ जो किया है, अब वह ठीक न्यायपालिका के साथ वैसा ही कर रहे हैं." जिसके बाद केजरीवाल ने ये बातें लिखी.

बता दें कि केंद्र सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह न्यायपालिका के कामों में दखल दे रही है. दरअसल, सीनियर वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए जाने को लेकर गुरुवार को कांग्रेस ने आपत्ति जाहिर की. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार अपने लोगों को ज्यूडिशियरी में फिट करना चाहती है. कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी ने भी केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को दरकिनार कर सीनियर वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त करने का केंद्र सरकार का फैसला विवादों में घिर गया है. सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम में जस्टिस जोसेफ के नाम पर दोबारा विचार को लेकर कांग्रेस ने केंद्र पर हमला बोला.

कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि केएम जोसेफ सबसे काबिल जज हैं. फिर भी केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की ओर से भेजे गए नामों में शामिल जस्टिस जोसेफ के नाम पर विचार नहीं किया और इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति कर दी गई. बता दें कि कॉलिजियम ने वरीयता क्रम में जस्टिस जोसेफ को पहले और मल्होत्रा को दूसरे नंबर रखा था.




केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए सिब्बल ने कहा, "बीजेपी कहती है कि देश बदल रहा है, लेकिन हम कहते हैं कि देश बदल चुका है. आज सरकार न्यायपालिका के साथ जो बर्ताव कर रही है, वह पूरा देश जानता है. सरकार की मंशा साफ है कि वह जस्टिस जोसेफ को जज नहीं बनने देंगे." सिब्बल ने कहा कि सरकार कॉलेजियम के हिसाब से नहीं चलना चाहती है. क्या वह न्यायपालिका से ज्यादा बड़ी हो गई है?
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