नई दिल्ली I मध्य प्रदेश के गुना से कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. राहुल के निर्देश में संसद में कांग्रेस की रणनीति को अंजाम देना हो या मध्य प्रदेश में कांग्रेस को दोबारा मजबूत करने की मुहिम, सिंधिया बढ़-चढ़ कर आगे दिखाई देते हैं. सिंधिया के मुताबिक नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर राहुल गांधी तैयार हो चुके हैं और देश की जनता का विश्वास जीतने में वे पूरी तरह सफल होंगे.
हालांकि, मध्य प्रदेश में कांग्रेस की ओर से उन्हें खुद मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किए जाने की संभावना को लेकर सिंधिया कहते हैं कि पार्टी नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा, एक कार्यकर्ता के नाते वो उनके सिर-माथे होगा. सिंधिया ने बिना किसी हिचक ये माना कि कांग्रेस अपने कठिन दौर से गुजर रही है. वंशवाद के सवाल पर सिंधिया खुद ही सवाल करते हैं कि कौन सी पार्टी मे वंशवाद नहीं है.
इस सवाल के जबाव में कि क्या ये कांग्रेस का सबसे कठिन दौर चल रहा है, सिंधिया ने कहा, "इसमें कोई दो राय नहीं, (अगर) कोई व्यक्ति ना माने कि (कांग्रेस का) कठिन दौर चल रहा है और अगर ऐसा कहता है तो वो किसी और दुनिया में जीवनयापन कर रहा है."
इस सवाल के जवाब में कि 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव उनके लिए ज्यादा अहम हैं या 2019 के आम चुनाव, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, "मैं मानता हूं एक जनसेवक और राजनेता होने के नाते आप के लिए हर चुनाव महत्वपूर्ण होना चाहिए. मेरे लिए चाहे लोकसभा चुनाव हो या मेरे प्रदेश में कहीं उपचुनाव हो, चाहे पार्टी मुझे जहां भी भेजती हो प्रचार के लिए, हर चुनाव महत्व रखता है."
जब सिंधिया से पूछा गया कि वो कौन से चार मुद्दे होंगे जो 2019 में केंद्र सरकार की चार्जशीट बन सकते हैं? तो उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार की चार्जशीट सिर्फ चार मुद्दों पर नहीं बल्कि अनेकों मुद्दों पर बनेगी. चाहे आंतरिक सुरक्षा का मामला हो या देश के अंदर का वातावरण हो, चाहे विदेश नीति की बात हो या डोकलाम हो, पाकिस्तान की बात हो या फिर मालदीव की, बेरोजगारी की बात हो या महिला सुरक्षा की, या फिर डाटा लीक और पेपर लीक हो, इन सबका जबाव देना होगा."
क्या 2018 के चुनाव ही 2019 के चुनावों की दिशा तय करेंगे? इस पर उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में सब से महत्वपूर्ण पड़ाव वर्तमान में कर्नाटक के चुनाव हैं और उसके बाद चार राज्यों के चुनाव.’
2018 में मध्य प्रदेश चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुकाबला बीजेपी से है या फिर कांग्रेस की अंदरूनी कलह से?, इस पर सिंधिया ने कहा, 'कांग्रेस में गुटबाजी की राजनीति जरूर एक रिएल्टी थी लेकिन 5, 10, 15 साल पहले. अब मध्यप्रदेश में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व चाहे वो दिग्विजय सिंह जी हों, कमलनाथ जी, सुरेश पचौरी जी या सत्यव्रत चतुर्वेदी जी, हम सब साथ मिलकर चर्चा कर के आगे की रणनीति तय करते हैं.‘
जब उनसे ये सवाल किया गया कि सारे सर्वे कहते हैं कि सिंधिया बहुत लोकप्रिय चेहरा हैं तो उनका नाम कांग्रेस की ओर से मध्य प्रदेश में सीएम के चेहरे के तौर पर क्यों घोषित नहीं किया जाता?, इस सिंधिया ने कहा, ‘नेतृत्व (प्रदेश में) का निर्णय मैं मानता हूं हाई कमान लेगा, कांग्रेस पार्टी के एक कार्यकर्ता के रूप में जो भी निर्णय लिया जाएगा मेरे लिए शिरोधार्य है.’
कार्ति चिदंबरम हों या फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह के दामाद, जब भी भ्रष्टाचार की बात होती है कांग्रेस खुद ही घिर जाती है, इस सवाल के जवाब में सिंधिया ने कहा, ‘दोनों को आप देख लीजिए जहां मुद्दा नहीं है उस मुद्दे को उठा रहे हैं. अमरिंदर सिंह के दामाद का मुद्दा क्या है, जो लोन उन्होंने लिया था वो एनपीए भी घोषित नहीं हुआ था. हम लोग तैयार हैं, आप कार्रवाई कीजिये, कौन रोक रहा है कार्रवाई करने से.’
वंशवाद के आरोपों पर पूछे गए सवालों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, "अगर कोई बिज़नेस मैन का लड़का या लड़की हो उस पर आप कटाक्ष नहीं करेंगे. डॉक्टर का लड़का या लड़की डॉक्टर बने, पर अगर किसी जनसेवक का बेटा या बेटी जनसेवा के मैदान में आए तो उस पर टिप्पणी की जाती है. देश की कौन सी पार्टी में वंशवाद नहीं है लेकिन ये सब लोग चुनाव जीतकर आते हैं.’
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