कर्नाटक में कई दिन से चल रहे सियासी ड्रामे के बाद शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी को दोहरा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी को शनिवार शाम 4 बजे तक बहुमत परीक्षण करने को तो कहा ही है, साथ ही विधानसभा के लिए एक एंग्लो-इंडियन सदस्य को मनोनीत करने पर भी फिलहाल रोक लगा दी है.
गौरतलब ही कि कांग्रेस और जेडी (एस) ने गुरुवार शाम को सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में अर्जी दी थी कि कर्नाटक में बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद के शपथग्रहण से रोका जाए और किसी एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्य को एमएलए मनोनीत करने से भी राज्यपाल को रोका जाए. यह अर्जी जस्ट‍िस ए.के. सीकरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के पास गई थी और शुक्रवार को इस पर सुनवाई होना तय हुआ.

याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 333 के तहत गवर्नर को एक एंग्लो इंडियन सदस्य को विधानसभा का सदस्य मनोनीत करने का अधिकार है, लेकिन वह ऐसा मुख्यमंत्री की सलाह पर ही कर सकते हैं, जिन्हें अभी बहुमत परीक्षण करना है.

असल में बहुमत परीक्षण के खेल में एक-एक विधायक की संख्या बीजेपी के लिए मायने रखती है. अगर एक एंग्लो-इंडियन सदस्य बीजेपी के सीएम की सलाह पर मनोनीत होता तो वह बीजेपी के पक्ष में मतदान कर सकता था. इसलिए कांग्रेस तत्काल इसे रोकने के लिए तत्पर हो गई.

गौरतलब है कि कर्नाटक में 222 सीटों पर चुनाव हुए थे, जिसमें से भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 और जेडी-एस को 38 सीटें मिली थीं. दो निर्दलीय विधायकों में से एक ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी, लेकिन उसे गुरुवार को विधानसभा के सामने गांधी की प्रतिमा के सामने कांग्रेस और जेडी-एस के धरने में शामिल देखा गया.
बहुमत के लिए बीजेपी को अभी कम से कम सात विधायक और जुटाने हैं, ऐसे में वह एक-एक संख्या जुटाने के लिए हर तरह के पैंतरे अपनाने की कोशिश कर रही है.
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