क्रिकेट के मैदान में कितना भी टेंशन भरा माहौल हो, महेंद्र सिंह धोनी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. वो हमेशा कूल रहते हैं. धोनी जब कप्तान थे तो कई ऐसे मैच हुए जब कोई आम कप्तान या खिलाड़ी अपना आपा खो सकता था, लेकिन धोनी ने न सिर्फ खुद को, बल्कि अपने खिलाड़ियों को भी संयमित रखा. भरत सुंदरेशन की किताब 'द धोनी टज' में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान के हवाले से बताया गया है कि उन्होंने हमेशा अपने खिलाड़ियों को मां-बहन की गाली देने के लिए मना किया.

साल 2008 में हुआ ऑस्ट्रेलिया दौरा धोनी की कप्तानी में पहला विदेशी दौरा था. ऑस्ट्रेलियाई टीम अपनी आक्रामकता के लिए जानी जाती है और वो मैदान पर स्लेंजिंग के लिए कुख्यात है, लेकिन धोनी ने अपने खिलाड़ियों से किसी भी विरोधी पर निजी छींटाकशी के लिए मना किया था.


धोनी के एक करीबी दोस्त ने किताब में कहा है, 'धोनी अपनी स्टाइल में गोली मारते हैं. धोनी का मानना था कि अगर वो अपने खिलाड़ियों को मां-बहन की गाली देने की छूट दे देते तो उनका खेल नहीं, बल्कि उनकी बातें विरोधियों को परेशान करती. धोनी कभी आक्रामकता दिखाने में विश्वास नहीं करते थे. धोनी का कहना था कि अगर आप ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को परेशान करना चाहते हैं तो अपने स्टाइल से करें ना कि ऑस्ट्रेलियाई अंदाज में.

'2008 में धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया से वीबी सीरीज जीती थी. दूसरे फाइनल में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम महज 160 रनों पर सिमट गई थी तो माही ने अपने खिलाड़ियों से ऑस्ट्रेलिया की हार और अपनी जीत पर जमकर जश्न ना मनाने को कहा था. भरत सुंदरेशन अपनी किताब में बताते हैं, 'माही ऑस्ट्रेलियाई टीम को ये संदेश देना चाहते थे कि उन्हें हराना कोई बड़ी बात नहीं है. अगर हम जीत का ज्यादा जश्न मनाते तो ऑस्ट्रेलियाई टीम को लगता कि ये एक उलटफेर हुआ है. हम उन्हें ये जताना चाहते थे कि ये तुक्का नहीं है. ये आगे भी होता रहेगा.'

धोनी की इस रणनीति ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को वीबी सीरीज के बाद झकझोर कर रख दिया था. एक ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने खुलासा किया था कि जब उनकी टीम वीबी सीरीज हारी थी, तो ऑस्ट्रेलिया को ये पचा नहीं. वो भारतीय टीम से मिली हार से अंदर तक हिल गए थे.
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