चेन्नई I भारतीय जनता पार्टी से करीब होते रिश्तों पर विराम लगाते हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK)के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने डीएमके कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए केंद्र की मोदी सरकार को सबक सिखाने की अपील की.

डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने कहा कि आज की राजनीतिक परिस्थिति चुनौती भरी है. शिक्षा, कला, साहित्य और धर्म पर बहुसंख्यक और सांप्रदायिक ताकतों के हमले हो रहे हैं. केंद्र सरकार न्यायपालिका और राज्यपालों के चयन की व्यवस्था को अस्थिर करने में लगी है. ये सब चीजें देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के लिए झटका है. स्टालिन ने कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि मोदी सरकार को उखाड़ फेंको, चलो उन्हें पाठ पढ़ाएं.
स्टालिन ने कहा कि मोदी सरकार पर देश के भगवाकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि आइए भगवाकरण की कोशिश कर रही है,  हम उस किसी भी पार्टी का विरोध करेंगे, जो एक भाषा का प्रभुत्व चाहती है. राज्य सरकारों के अधिकारों को रौंदा जा रहा है. इसलिए मोदी सरकार को सबक सिखाने की जरूरत है.

डीएमके नवनिर्वाचित प्रमुख ने कहा कि द्रमुक अपने आदर्श ईवी रामास्वामी 'पेरियार' के सामाजिक न्याय की नीतियों से विमुख नहीं होगी. उन्होंने द्रमुक के ईश्वर विरोधी नहीं होने की घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी पेरियार की तर्कवादी नीति से पीछे नहीं जाएगी.

उन्होंने स्वीकार किया कि अपने दिवंगत पिता की तरह तमिल भाषा पर उनकी पकड़ नहीं है हर चीज के लिए कोशिश करने का स्वभाव है. इसी के साथ उन्होंने द्रमुक कार्यकर्ताओं से जनविरोधी व रीढ़विहीन अन्नाद्रमुक सरकार को तमिलनाडु से उखाड़ फेंकने की अपील की.

उल्लेखनीय है कि द्रमुक नेता एमके स्टालिन को निर्विरोध पार्टी का अध्यक्ष चुना गया है. पार्टी प्रमुख के पद के लिए 26 अगस्त को नामांकन भरने वाले वह एकमात्र उम्मीदवार थे. पार्टी अध्यक्ष और पिता एम. करुणानिधि के निधन बाद 65 वर्षीय स्टालिन को द्रमुक प्रमुख चुना गया, इससे पहले करुणानिधि 49 साल तक डीएमके के प्रमुख रहे. हालांकि स्टालिन के बड़े भाई और द्रमुक से निष्कासित नेता एमके अलागिरी ने धमकी दी है कि यदि उन्हें पार्टी में वापस नहीं लिया गया तो इसके अंजाम अच्छे नहीं होंगे.
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