नई दिल्ली I मोदी सरकार की ओर से एससी/एसटी एक्ट में संशोधन कर उसे मूल स्वरूप में बहाल करने के विरोध में सवर्ण बिरादरी बेहद नाराज है और उसने इस फैसले के विरोध में गुरुवार को 'भारत बंद' का आह्वान किया है.

'भारत बंद' को लेकर प्रशासन हर जगह सतर्क है, लेकिन मध्य प्रदेश में इस बार प्रशासन मुस्तैद है और पिछली बार की तरह इस बार अपने-अपने क्षेत्र हिंसा पर लगाम लगाने की कोशिशों में जुटा है. हालांकि उत्तर प्रदेश में इस विरोध प्रदर्शन का असर कम है.

सवर्णों की नाराजगी का सबसे ज्यादा सामना मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार को करना पड़ रहा है. सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) ने 6 सितंबर को भारत बंद का ऐलान भी किया है. प्रदेश के 6 जिलों (ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, श्योपुर, अशोक नगर, गुना, दतिया, और भिंड) में एहतियातन धारा 144 लागू कर दी गई है. धारा 144 'भारत बंद' के अगले दिन यानी 7 सितंबर तक प्रभावी रहेगी.

इससे पहले एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को 'भारत बंद' बुलाया था, तब सबसे ज्यादा हिंसा मध्य प्रदेश के ग्वालियर और चंबल संभाग में हुई थी. इस वजह से इस बार प्रशासन 'भारत बंद' को देखते हुए पूरी तरह सतर्क है.


वहीं एससी/एसटी एक्ट में संशोधन लाए जाने के विरोध में राजस्थान में अगड़ी जातियों ने सड़क पर उतरने का ऐलान किया है. जयपुर में हुए सर्व समाज की मीटिंग में तय किया गया कि 6 सितंबर को राजस्थान बंद करवाया जाएगा. सर्व समाज संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जातियों को आपस में लड़ाना चाहती है, लेकिन हम इसे पूरा नहीं होने देंगे. बंद को लेकर बिहार में अच्छा खासा असर देखा जा रहा है.
पिछली हिंसा से सबक लेते हुए प्रशासन ने इस बार कई जिलों में अलर्ट जारी कर भारी पुलिस की तैनाती किए जाने के निर्देश जारी कर दिए हैं. भीड़ से निपटने के लिए आंसू गैस के गोले भी थानों में पहुंचा दिए गए हैं.

इस बीच शिवराज सिंह ने लोगों से शांति की अपील की है. बुधवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान की जनआशीर्वाद यात्रा खरगौन पहुंची. यहां कई जगहों पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने रोड शो के साथ सभाओं को भी संबोधित किया, लेकिन चुरहट में सीएम के ऊपर चप्पल उछाले जाने और सवर्ण संगठनों के विरोध प्रदर्शनों के ऐलान के बाद जन आशीर्वाद यात्रा में भारी पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

दूसरी ओर, केंद्र में सत्तारुढ़ बीजेपी सवर्ण वर्ग की नाराजगी को दूर करने की कोशिशों में जुट गई है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी नेताओं के साथ एससी/एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद बने हालात पर विस्तार से चर्चा की है.

हालांकि पार्टी इस मुद्दे पर किसी तरह की टिप्पणी से बच रही है, लेकिन पार्टी नेता इस मुद्दे को तूल देने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता रहे हैं.
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