नई दिल्ली I देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे, लेकिन उससे पहले शुक्रवार को आए एक्जिट पोल में बीजेपी को लिए अच्छी संकेत नहीं है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता पर काबिज बीजेपी की विदाई होती नजर आ रही है. जबकि कांग्रेस पूर्णबहुमत के साथ सत्ता के सिंहासन पर वापसी करती दिख रही है. ऐसे में अगर Exit Polls चुनावी नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर बीजेपी शासित राज्यों में हार का ठीकरा किसके सिर फूटेगा? इस सवाल को लेकर बीजेपी में बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है.

'मोदी से बैर नहीं वसुंधरा तेरी खैर नहीं'
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक राजस्थान में बीजेपी को करारी मात मिलती दिख रही है. सूबे की कुल 200 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के खाते में 119 से 141 सीटें जाती दिख रही हैं. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी को 55 से 72 सीटें मिल सकती हैं. यही नहीं, बाकी आए एक्जिट पोल में भी बीजेपी की हार दिख रही है. जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 163 सीटें हासिल हुई थीं. ऐसे में सवाल उठता है कि एक्जिट पोल अगर नतीजों में बदलते हैं तो राजस्थान में बीजेपी की हार का ठीकरा किसके सिर फूटेगा. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की जिम्मेदारी होगी या फिर पार्टी के आला नेता की. हालांकि प्रदेश में 'मोदी से बैर नहीं वसुंधरा तेरी खैर नहीं' के नारे लग रहे थे.

इसी के चलते राजस्थान में वसुंधरा राजे को जीत दिलाने के लिए पीएम मोदी ने 13 रैलियां की हैं, अमित शाह ने प्रदेश के सभी जिलों का दौरा किया और 38 कार्यक्रम किए. वसुंधरा राजे ने भी 75 रैलियां कीं. पार्टी के दूसरे नेताओं ने कुल 222 रैलियां और 15 रोड शो किए.

इसके बावजूद एक्जिट पोल में बीजेपी की करारी हार नजर आ रही है. ऐसी सूरत में बीजेपी को जीत मिलती तो निश्चित रूप से जीत का श्रेय पीएम मोदी और पार्टी के आला नेताओं की दिया जाता, लेकिन हार के लिए जिम्मेदारी किसकी होगी, ये अहम सवाल है.

छत्तीसगढ़ में चावल बाबा की विदाई
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल छत्तीसगढ़ की सत्ता पर 15 साल से काबिज बीजेपी को करारी मात मिलती दिख रही है. राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 55 से 65 सीटें और बीजेपी को 21 से 31 सीटों के बीच ही संतोष करना पड़ सकता है. जबकि अन्य को 4 से 8 सीटें मिलने की संभावना है. पोल के मुताबिक मुख्यमंत्री रमन सिंह की सत्ता से विदाई तय है.

छत्तीसगढ़ में Exit Poll नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर हार की जिम्मेदारी किसकी होगी. मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ न तो राजस्थान जैसी सत्ताविरोधी लहर थी और न ही पार्टी में किसी तरह का बगावती सुर था. इसके बावजूद एक्जिट पोल में हार होती दिख रही है. तो ऐसे में फिर हार की जिम्मेदारी किसकी होगी. जबकि पीएम मोदी और अमित शाह सहित पार्टी के कई नेताओं ने कई रैलियां की हैं.

मध्य प्रदेश में मामा शिवराज की राह मुश्किल
मध्य प्रदेश की सत्ता में 15 साल से काबिज बीजेपी का दुर्ग दरकता नजर आ रहा है. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है. लेकिन कांग्रेस मामूली बढ़त के साथ आगे है.

पोल के मुताबिक 230 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी को 102 से 120 सीट और कांग्रेस 104 से 122 सीटें मिलने का अनुमान है. जबकि बसपा को 3 और अन्य को 3 से 8 सीटें मिलने का अनुमान है. सनद रहे कि 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165 और कांग्रेस को 58 सीटें मिली थीं.

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान पिछले 13 साल से मुख्यमंत्री हैं. शिवराज के खिलाफ भी न कोई खास सत्ताविरोधी लहर और न ही पार्टी में कोई चुनौती दिखी. मोदी ने भी अपनी चुनावी रैलियों में शिवराज के कामकाज की जमकर तारीफ की थी. इसके बावजूद एक्जिट पोल में एमपी में बीजेपी से आगे कांग्रेस दिख रही है. नतीजे ऐसे ही रहे तो फिर जिम्मेदारी किसकी होगी.

2019 से पहले हार की जिम्मेदारी पर सवाल
दरअसल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को 2019 का सेमीफाइल माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी शासित तीनों राज्य उसके हाथ से निकलते हैं, तो इसका असर लोकसभा चुनाव में भी पड़ेगा. ऐसे में बीजेपी के आला नेता कभी नहीं चाहेंगे कि हार की जिम्मेदारी राष्ट्रीय नेतृत्व या फिर नरेंद्र मोदी के सिर फूटे. इस सूरत में तीनों मुख्यमंत्री को अपने सिर हार का 'सेहरा' बांधना पड़ सकता है.
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