नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर आज  (27 फरवरी 2019) विपक्षी दलों की बैठक होगी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में चुनाव पर बल्कि भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान में भीतर जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर किए गए हमलों पर चर्चा हो सकती है। पहले के अनुसार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर बातचीत होनी थी। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक फिलहाल राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ वायुसेना की महत्वपूर्ण कार्रवाई प्रमुख विषय है और विपक्षी दल फिलहाल इसी को लेकर बातचीत करेंगे। वैसे, सरकार की ओर से मंगलवार को बुलाई गई बैठक में कांग्रेस समेत सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने आतंकवाद के खात्मे के लिए सरकार एवं सुरक्षा बलों के साथ खड़े रहना भरोसा दिया।

वामपंथी दलों ने इसकी पुष्टि की है कि कांग्रेस के साथ सहमति बनी है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम की बात बैठक के एजेंडे में फिलहाल नहीं होगी। विपक्षी दलों की बैठक में तेलुगू देसम पार्टी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी तथा कुछ अन्य दलों के नेता शामिल हो सकते हैं। 
विपक्ष के एक नेता ने कहा, समस्या यह है कि अगर बैठक नहीं होगी तो यह संदेश जाएगा कि हमने बीजेपी के लिए मैदान खुला छोड़ दिया है। शुरुआत से हम कह रहे हैं कि बैठक पुलवामा हमले पर होनी चाहिए। इससे पहले, 13 फरवरी को विपक्षी दलों के नेताओं ने फैसला किया कि वे न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करेंगे ताकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ वे मजबूती से लड़ सकें।

गौर हो कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी ट्रेनिंग सेंटर पर मंगलवार तड़के (करीब 4 बजे सुबह) किए गए हमले कर करीब 300 से अधिक आतंकियों को मार गिराया। इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर का बहनोई और भाई भी मारा गया।

वायु सेना न सिर्फ 12 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया बल्कि सुखोई 30 लड़ाकू विमानों, हवा में उड़ान भरते समय विमान में ईंधन भरने वाले एक विशेष विमान और दो एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (एडब्ल्यूएसीएस) ने भी मिराज की पूरी मदद की।

साल 1971 के युद्ध के बाद भारतीय वायुसेना ने पहली बार पाकिस्तान के भीतर ऐसी कार्रवाई की है। सूत्रों ने बताया कि वायुसेना ने नियंत्रण रेखा से करीब 80 किलोमीटर दूर बालाकोट में जैश के शिविर पर हमले के लिए कई लेजर निर्देशित बमों का इस्तेमाल किया। इन बमों में प्रत्येक का वजन 1,000 किलो से ज्यादा था। 
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