नयी दिल्ली। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि अंतरिम बजट में दी गई राहत के बाद 9.5 लाख रुपये तक की वार्षिक कमाई करने वाला कोई भी व्यक्ति निवेश योजनाओं का लाभ उठाते हुये कर देनदारी से मुक्त हो सकता है। उन्होंने इसे सीमित कमाई वाले निम्न और मध्य आय वर्ग के लोगों के लिये राहत बताया। लोकसभा में वित्त विधेयक 2019 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुये गोयल ने कहा कि उन्होंने बजट में आयकर की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है केवल कुछ छूट (रिबेट) दी है। इन उपायों से लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी जिसका फायदा अर्थव्यवस्था को मिलेगा। गोयल के जवाब के बाद सदन ने वित्त विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही लोकसभा में बजट पारित करने की प्रक्रिया पूरी हो गई। 

वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार किसानों, गरीबों और मध्यम वर्ग को समर्पित रही है। पिछले पांच वर्ष में मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत बनाने, महंगाई पर लगाम लगाने, गरीब कल्याण सुनिश्चित करते हुए ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ सभी वर्गों को राहत देने का काम किया है। ‘‘ हमने मध्यम वर्ग को राहत देने का काम किया है। इसको लेकर लोगों में काफी उत्साह है।’’ उन्होंने कहा कि आयकर के तहत तमाम छूट को ध्यान में रखा जाए तो अब 9- 9.5 लाख रूपये तक की सालाना आय पर निवेश के माध्यम से बिना कर दिये रहा जा सकता है। एक फरवरी को पेश अंतरिम बजट में आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन पांच लाख रुपये तक की करयोग्य आय पर छूट को बढ़ाकर उसे कर मुक्त कर दिया गया है। वित्त विधेयक में पांच लाख रुपये तक की सालाना आय पर कर छूट को मौजूदा 2,500 रुपये से बढ़ाकर 12,500 रुपये कर दिया। इससे इस आय वर्ग के लोगों को कर नहीं देना होगा।  बीमा, बचत पत्र, भविष्य निधि, पेंशन, मकान के कर्ज पर ब्याज आदि पर निवेश पर कटौती के लाभ से सालाना 9 से 9.5 लाख रुपये तक की आय वाले भी कर भुगतान से बच सकते हैं। 
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