नई दिल्ली I लोकसभा चुनाव में बेहद शर्मनाक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल खड़े हो गए हैं. पार्टी की हार की समीक्षा करने के लिए आज कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक दिल्ली में हो रही है. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी इस बैठक में हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे सकते हैं.

2014 के मुकाबले इस चुनाव में कांग्रेस की सिर्फ 8 सीटें बढ़ीं हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 44 सीट जीती थीं. जबकि इस बार पार्टी को महज 52 सीट मिली हैं, जिससे उसे लोकसभा में विपक्ष का भी दर्जा नहीं मिलेगा. इसके लिए भी 54 का आंकड़ा चाहिए. राहुल गांधी भले ही वायनाड से बंपर वोटों से जीत गए हों. लेकिन कांग्रेस के गढ़ अमेठी पर अब भगवा लहरा रहा है. स्मृति ईरानी ने राहुल को 55 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी.

हालांकि, बैठक को लेकर कोई एजेंडा तय नहीं किया गया है. लेकिन कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि राहुल का इस्तीफा मंजूर नहीं किया जाएगा और पार्टी उनके नेतृत्व में ही काम करेगी. कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की करारी हार के कारणों की समीक्षा भी की जाएगी, जहां पार्टी ने 5 महीने पहले ही सरकार बनाई है.

कर्नाटक पर भी मंथन

कर्नाटक भी उसके लिए परेशानी का सबब है, जहां की 28 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 25 सीट जीतीं. राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ रही कांग्रेस का 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में खाता तक नहीं खुला. पार्टी लक्षद्वीप, दमन एवं दीव, चंडीगढ़, राजस्थान, दादर एवं नगर हवेली, सिक्किम, मिजोरम, दिल्ली, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, मणिपुर और नगालैंड में एक सीट भी नहीं जीत पाई. कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों ने राज्यों में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा पहले ही राहुल गांधी को भेज दिया है.

कई दिग्गज रहेंगे मौजूद

इस बैठक में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह और अन्य सदस्य उपस्थित रहेंगे. राजस्थान कांग्रेस के महासचिव अविनाश पांडे ने कहा, 'राहुल गांधी जी ने कड़ी मेहनत की है और हार के लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार नहीं है. हम सभी सामूहिक रूप से जिम्मेदार हैं.'

राहुल गांधी के इस्तीफे की बात सामने आने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने भी हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है. यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर जैसे नेताओं ने अचानक सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश में मिली बड़ी हार की बात को स्वीकारते हुए खुद को इसके लिए जिम्मेदार बताया.

बब्बर ने ट्वीट किया, 'जनता का विश्वास हासिल करने के लिए विजेताओं को बधाई. यूपी कांग्रेस के लिए परिणाम निराशाजनक हैं. अपनी जिम्मेदारी को सफल तरीके से नहीं निभा पाने के लिए खुद को दोषी पाता हूं. नेतृत्व से मिलकर अपनी बात रखूंगा.'

ओडिशा के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेजा. उन्होंने कहा, 'मैंने राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष (राहुल गांधी) को अपना इस्तीफा भेजा है.' राज्य में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, वहीं दिग्गज नेताओं ने अपनी सीट भी गंवा दी.

इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

सीडब्ल्यूसी में कांग्रेस के चुनावी कैंपेन को लेकर भी चर्चा हो सकती है. माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी पर निजी हमले करने (चौकीदार चोर है), राफेल मुद्दे को अन्य मुद्दों से ज्यादा तूल देने, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दे को सही से न भुनाने, सैम पित्रौदा और मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं के विवादित बयानों को भी पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती.

सत्ता के गलियारों में चर्चा यह भी है कि अगर राहुल गांधी इस्तीफा देने पर अड़े रहते हैं तो कांग्रेस की कमान कौन संभालेगा. कुछ नेताओं का मानना है कि कांग्रेस का वजूद गांधी परिवार से ही है. अगर बागडोर किसी अन्य को दी जाती है तो हो सकता है कि पार्टी बिखर जाए. रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि राहुल गांधी तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही इस्तीफा देना चाहते थे.

उन्होंने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के सामने इसकी पेशकश भी की थी. लेकिन सोनिया ने उनसे कहा कि वह जो भी कहना चाहते हैं कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में कहें. इस पर राहुल मान गए. अब सबकी नजरें सीडब्ल्यूसी की बैठक पर टिकी हैं, जिसके बाद ही तस्वीर साफ होगी.
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