पिछले एक दशक में कारोबारों का ध्यान ग्राहकों पर काफी अधिक केंद्रित हो गया है। कोई भी कंपनी अपने ग्राहकों की खास जरूरतों को पूरा करने के लिए एक भी कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। चाहे आपका डीटीएच ऑपरेटर हो, मोबाइल नेटवर्क करियर या फिर कार बीमा कंपनी। अगर आपको इनकी सेवाएं पसंद नहीं आ रही, तो आपको जिंदगी भर इनके साथ बना रहना जरूरी भी नहीं है।
नियामक संस्थाओं द्वारा जारी किये गये विभिन्न दिशा-निर्देशों के चलते अब आप आसानी से अपना मोबाइल या डीटीएच कनेक्शन किसी अन्य सर्विस प्रोवाइडर के पास पोर्ट करा सकते हैं। इसके लिए सिर्फ कुछ आसान चरणों का पालन करने की जरूरत होगी।
आपके लिए अब अच्छी खबर यह है कि अगर आप अपनी मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की सेवाओं और पॉलिसी फीचर्स से खुश नहीं हैं, तो अपनी हेल्थ पॉलिसी को भी किसी अन्य कंपनी में पोर्ट करा सकते हैं। वर्ष 2011 में भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट करने की अनुमति दे चुकी है ताकि ग्राहकों को अधिकतम फायदा मिल सके। हालांकि अफसोस इस बात का है कि कई सारे लोगों को अपना हेल्थ इंश्योरेंस कवर पोर्ट करने की प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी नहीं है।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पोर्ट करने की जरूरत
लोग अपने हेल्थ इंश्योरेंस कवर को किसी दूसरी कंपनी के पास पोर्ट करना क्यों चाहते हैं? इसके कुछ आम कारणों में पॉलिसी का महंगा होना, अस्पताल कमरे के किराये की अधिकतम सीमा, पॉलिसी में सीमित कवरेज और क्लेम सेटलमेंट में होने वाली देरी आदि शामिल है। अलग-अलग बीमा कंपनियों द्वारा पेश किये जाने वाली बेहतर फीचर्स भी हेल्थ पॉलिसी को पोर्ट करने के कुछ बड़े कारण बनते हैं। पारंपरिक हेल्थ पॉलिसियों में जिन फीचर्स की कमी रही है, उनमें ओपीडी कवर, ऑटोमैटिक रेस्टोरेशन कवर, हॉस्पिटल कैश आदि शामिल है।

IRDAI द्वारा सभी हेल्थ इंश्योरेंस संबंधी उत्पादों यानि व्यक्तिगत और फ्लोटर कवर वाले हेल्थ इंश्योरेंस कवर को पोर्ट करने की अनुमति दी गई है। हालांकि, आप दो एक जैसी पॉलिसी के बीच ही बीमा कंपनी बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास रु. 10 लाख सम इंश्योर्ड वाला एक व्यक्तिगत हेल्थ कवर है और आप अपनी बीमा कंपनी बदलना चाहते हैं, तो ऐसा तभी कर सकेंगे जब आप किसी व्यक्तिगत हेल्थ कवर में ही पोर्ट करेंगे। आप अपने पॉलिसी के प्रकार को बीमारी विशिष्ट कवर या एक क्रिटिकल इलनेस कवर में नहीं बदल सकते। एक हेल्थ इंश्योरेंस कवर पोर्ट करने की योजना बनाते वक्त आपको एक ज़रूरी बात यह भी याद रखनी होगी कि पोर्ट करने की अनुमति सिर्फ पॉलिसी रिन्युअल के दौरान ही दी गई है। हालांकि, कुछ बीमा कंपनियां पॉलिसी की एक्सपायरी तिथि तक भी हेल्थ इंश्योरेंस को पोर्ट करने की अनुमति देती हैं।
हेल्थ कवर को पोर्ट करने के फायदे
अपना हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए प्रमुख फायदों में से एक यह है कि उन्हें प्रतीक्षा अवधि का फायदा उठाने की सुविधा मिलती है (आमतौर पर पहले से मौजूद बीमारी और मैटरनिटी)। इस सुविधा में पॉलिसीधारक अपनी पिछली बीमा कंपनी से जुड़े प्रतीक्षा समय को ही आगे जारी रख सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, मान लें कि अगर आपकी हेल्थ पॉलिसी में मैटरनिटी कवर लेने के लिए 24 महीने की प्रतीक्षा अवधि है और इसमें से 18 महीने बीत चुके हैं। अब, जब आप अपनी पॉलिसी को दूसरी कंपनी में पोर्ट करेंगे, तो मैटरनिटी कवर का लाभ उठाने की प्रतीक्षा

अवधि घटाकर 6 महीने कर दी जाएगी (बशर्ते नई पॉलिसी में भी मैटरनिटी कवर के लिए 24 महीने की प्रतीक्षा अवधि रहे)। ऐसा इसलिए क्योंकि आप पिछली बीमा कंपनी के साथ रहते हुए 18 महीने की प्रतीक्षा अवधि बीता चुके हैं।
पहले से मौजूद बीमारियों और मैटरनिटी कवर के लिए प्रतीक्षा अवधि हर बीमा कंपनी के हिसाब से अलग हो सकती है। एक हेल्थ पॉलिसी को पोर्ट करते वक्त, आप इस पर कमाए गए क्रेडिट्स और नो-क्लेम बोनस को भी पोर्ट कर सकते हैं। इस फीचर के तहत, अगर आपकी मौजूदा पॉलिसी का सम इंश्योर्ड रु. 5 लाख है और तो लगातार दो साल तक बिना कोई क्लेम किये रिन्युअल कराने के बाद, नो-क्लेम बोनस के लाभ के साथ यह राशि बढ़कर रु. 6 लाख हो जाएगी। अगले वर्ष जब आप एक नई बीमा कंपनी के साथ अपनी पॉलिसी पोर्ट करेंगे, तो कुल सम इंश्योर्ड रु. 6 लाख ही रहेगा। लेकिन यह भी ध्यान रहे कि नई बीमा कंपनी के पास आपका प्रीमियम भी वर्तमान सम इंश्योर्ड यानि रु. 6 लाख पर कैलकुलेट किया जाएगा।

पोर्ट करने की प्रक्रिया
किसी अन्य बीमा कंपनी के पास अपनी मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट करने के लिए पॉलिसीधारक को अपनी मौजूदा पॉलिसी की एक्सपायरी तिथि से कम से कम 45-60 दिन पहले नई बीमा कंपनी से संपर्क करना होगा। हालांकि, पॉलिसी के अंतिम दिन तक भी पोर्ट करने की अनुमति दी गई है। नई कंपनी से संपर्क करने के बाद पॉलिसीधारक को पॉलिसी पोर्ट करने के लिए एक प्रपोज़ल फॉर्म भरना होगा और पिछले वर्षों की पॉलिसी प्रतियों के बारे में आवश्यक विवरण पेश करने होंगे। इसके बाद पोर्ट करने के लिए आवेदन किया जा सकता है। नई कंपनी को आपका आग्रह प्राप्त होने के बाद, यह कंपनी पॉलिसीधारक की मौजूदा बीमा कंपनी से संपर्क कर आवेदक की मेडिकल एवं क्लेम हिस्ट्री की पड़ताल करेगी। विभिन्न जांच के आधार पर नई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को आपका आवेदन स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार रहेगा। नई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को सभी आवश्यक विवरण मिलने के बाद ही उन्हें 15 दिनों के अंदर यह फैसला करना होगा कि संबंधित पॉलिसी को पोर्ट किया जाएगा या नहीं।
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