नई दिल्ली लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में आत्ममंथन का दौर जारी है. एक ओर राहुल गांधी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहते हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने सभी प्रवक्ताओं को किसी भी टीवी डिबेट में शामिल न होने का निर्देश दिया है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि अभी हार हुई है, ऐसे में टीवी डिबेट में जाकर तुरंत मोदी सरकार की खिलाफत करना जनता को पसंद नहीं आएगा.

नए फरमान को जारी करते हुए कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्विटर पर लिखा, 'कांग्रेस ने एक महीने के लिए टीवी डिबेट में प्रवक्ताओं को न भेजने का फैसला किया है. सभी मीडिया चैनलों / संपादकों से अनुरोध है कि वे अपने शो में कांग्रेस के प्रतिनिधियों को न बुलाएं.'

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि डिबेट में कुछ मीडिया मोदी सरकार का पक्ष ही लेते हैं, ऐसे में सिर्फ डिबेट में जाना और वहां गलत साबित किया जाना किसी फायदे की बात नहीं. इसके साथ ही डिबेट में किसान, रोज़गार, गरीब और मोदी के वायदों पर बहस हो नहीं रही, ऐसे में मोदी महिमामंडन और हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे पर बहस करके हारे हुए खिलाड़ी बनने से क्या लाभ. प्रवक्ताओं के पास राहुल के इस्तीफे के सवाल का जवाब नहीं है.

इस्तीफे पर अड़े हैं राहुल गांधी, रखी शर्त

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी महज 52 सीटों पर सिमट गई है. पार्टी के खराब प्रदर्शन से नाराज राहुल गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सामने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन पार्टी नहीं मानी. अभी भी राहुल इस्तीफे पर अड़े हुए हैं. सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की है.

इस मान-मनौव्वल के बाद राहुल ने पार्टी के सामने शर्त रखी है कि वह अध्यक्ष पद छोड़ने का मन बना चुके हैं, लेकिन जब तक पार्टी को विकल्प नहीं मिलता है तो वह जिम्मेदारी संभालने को तैयार हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी अगले तीन-चार महीनों के लिए पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे. हालांकि, प्रियंका गांधी से मुलाकात करने के बाद एक पार्टी नेता ने आज तक को बताया कि राहुल अपना फैसला बदल सकते हैं, क्योंकि उनका विकल्प ढूंढना मुश्किल है.

सपा ने प्रवक्ताओं के खिलाफ की थी बड़ी कार्रवाई

कांग्रेस से पहले समाजवादी पार्टी ने अपने सभी प्रवक्ताओं को हटा दिया था. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पार्टी के सभी प्रवक्ताओं का मनोनयन तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया था. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इस आशय का पत्र सभी समाचार चैनलों को भेजा था. पत्र में पार्टी का पक्ष रखने के लिए किसी भी पदाधिकारी को आमंत्रित नहीं करने का अनुरोध किया गया था.
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