नई दिल्ली : तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के राज्यसभा के छह में से चार सांसदों के गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लेने से सत्तारूढ़ दल को उच्च सदन में अपने विधेयकों को पारित कराने में अब असानी होगी। भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है और उसे अपने विधेयकों को पारित कराने के लिए बहुत हद तक विपक्ष पर निर्भर रहना पड़ता है। अब तेदेपा के चार सदस्यों का साथ मिलने से उसकी आगे की राह आसान होगी। आने वाले समय में भाजपा राज्यसभा में अपने अहम बिल पेश करने वाली है जिनमें तीन तलाक विधेयक प्रमुख है।
छह में से चार सांसदों का पाला बदलने से वह दलबदल कानून के दायरे में नहीं आएंगे। दलबदल कानून से बचने के लिए पार्टी से अलग हुए नेताओं की संख्या पार्टी के दो तिहाई आंकड़े के बराबर होनी चाहिए। ऐसे में देखा जाए तो तेदेपा के राज्यसभा में छह सांसद हैं और इनका दो तिहाई आंकड़ा चार होता है इसलिए ये सांसद दलबदल कानून के दायरे में नहीं आएंगे। यह तेदेपा नेताओं के लिए राहत की बात है।
राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं और भाजपा के पास सबसे ज्यादा 71 सदस्य हैं। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद तेदेपा में खलबली मची हुई है। ऐसी चर्चा है कि ककीनाडा के एक होटल में तेदेपा के कई वरिष्ठ नेताओं एवं पूर्व विधायकों ने अपनी राजनीतिक किस्मत को लेकर बंद दरवाजे में चर्चा की है। ऐसी चर्चा है कि ये नेता आने वाले समय में पार्टी छोड़ सकते हैं। 
हाल के दिनों में भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में विभिन्न दलों के नेताओं ने भगवा पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई है। भाजपा के इस दावे के बाद तेदेपा में ये टूट हुई है। लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में तेदेपा की बड़ी हार हुई है। आंध्र प्रदेश में विधानसभा की 151 सीटों में से तेदेपा को महज 23 सीटें मिली हैं जबकि लोकसभा की 25 सीटों में से उसे महज तीन सीटों पर जीत हासिल हुई है। तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर एनडीए से अलग हुए और चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा एवं नरेंद्र मोदी का विरोध किया। बताया जा रहा है कि चंद्रबाबू इस समय देश में नहीं हैं।
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