नई दिल्ली। एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैसे तो बहुत बातें की पर सबसे ज्यादा चर्चा उनकी कश्मीर पर कही गई बात पर हुई। मोदी ने कहा कि कश्मीर के लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ने के लिये बेताब हैं और उम्मीद जताई कि विकास की शक्ति, बम-बंदूक की शक्ति पर हमेशा भारी पड़ती है और जो लोग विकास की राह में नफरत फैलाना चाहते हैं, अवरोध पैदा करना चाहते हैं, वो कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सकते। मोदी ने विकास कार्यों में लगे अधिकारियों से भी अपील की कि वे शोपियां, पुलवामा, कुलगाम और अनंतनाग जिले के अति संवेदनशील इलाके में भी बिना किसी भय के पहुँचे। मोदी ने अपने कार्यक्रम में जून महीने में जम्मू कश्मीर में आयोजित ‘गांव की ओर लौट चले’ जैसी ग्रामीण सशक्तिकरण पहल का जिक्र किया जो लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए किया गया था। 

मोदी ने ये बातें ऐसे समय पर कहीं जब उनकी सरकार ने राज्य में केंद्रीय बलों के करीब दस हजार कर्मियों को भेजने का फैसला किया है। जाहिर-सी बात है मोदी की इस बात पर राजनीति तो होनी ही थी। हालांकि जम्मू-कश्मीर के नेता मोदी के विकास वाली बातों को मुद्दा ना बनाकर सरकार के फैसले को बड़ा मद्दा बना रहे हैं जिसके तहत दस हजार अतिरिक्त सैन्य कर्मियों को कश्मीर में भेजा जा रहा है। लेकिन निशाने पर मोदी ही हैं। पहले आपको सरकार के फैसले के बारे में बता देते हैं। केंद्र ने आतंकवाद को रोकने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कश्मीर घाटी में केंद्रीय बलों के करीब दस हजार कर्मियों को भेजने का आदेश दिया है। अधिकारियों की माने तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 जुलाई को तत्काल आधार पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 100 कंपनियां तैनात करने का आदेश दिया है। एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं। अधिकारियों ने इस बात की भी संभावना जताई कि जरूरत पड़ने पर घाटी में 100 और कंपनियां भेजी जा सकती हैं। सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया जब मुख्य सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल दो दिन के कश्मीर दौरे से वापस लौटे थे। डोभाल ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था को लेकर बैठक की थी। 
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