अमेरिका. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा है कि भारत का पहला मून लैंडर विक्रम (Moon Lander Vikram), जो कि शुक्रवार को चंद्रमा (Moon) की सतह पर पहुंचते हुए शांत हो गया था, उसे ऑर्बिटर (Orbiter) के जरिए खोज लिया गया है. जिसने यह आशाएं जगा दी हैं कि इसे फिर से सही कर दिया जाएगा.

अगर यह सही सलामत लैंड कर गया होता तो यह एक जबरदस्त घटना होती. अंतरिक्षयानों (Spacecraft) के इतिहास में रोबोटिक जांच मिशन में दूसरी दुनिया में पहुंचने के दौरान गड़बड़ी आने के बाद उनके दोबारा काम करने की बात कम ही सुनी गई है.

सब सही होने के बावजूद मुश्किल होती है लैंडिंग
ISRO ने गुरुवार को ट्वीट किया था कि लैंडर से संपर्क साधने के प्रयास जारी हैं. इस बयान में भारत की उस न्यूज रिपोर्ट की पुष्टि नहीं की गई थी, जिसमें एक बिना नाम के अधिकारी ने कहा था कि लैंडर सुरक्षित है और मात्र थोड़ा सा झुका हुआ है.

नासा के 'इनसाइट' (NASA's InSight) स्पेसक्राफ्ट के नवंबर में मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक लैंड करने के दौरान लॉकहीड मार्टिन टीम के प्रमुख मार्क जॉनसन ने कहा था, "सब कुछ बिल्कुल सही ढंग से काम कर रहा हो तो भी दूसरे ग्रह की सतह पर लैंड करना बहुत कठिन होता है लेकिन अगर कोई गड़बड़ी आ जाए फिर भी इसे अंजाम दिया जा सके तो यह बात बहुत अद्भुत होगी."

सबसे कठिन होता है सतह पर लैंड कराना
मिशन में ज्यादातर चरणों के दौरान अगर स्पेसक्राफ्ट में कोई गड़बड़ी आती है तो इसे 'सेफ मोड' में भेजने के लिए प्रोग्राम्ड रखा जाता है. इस दौरान यह बंद हो जाता है ताकि बड़ी समस्याओं को रोका जा सके और धरती से नए निर्देशों का इंतजार किया जा सके.

लेकिन लैंडिंग के दौरान होने वाली समस्याएं वैसी हैं जैसे एक प्लेन से कूद जाना और फिर यह पता चलना कि पैराशूट भी काम नहीं कर रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलराडो के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड अप्लाइड साइंसेज के डीन रॉबर्ट डी ब्राउन ने कहा है कि लैंडिंग अंतरिक्ष (Space) के खोजी अभियानों में सबसे कठिन चीज होती है. ब्राउन ने NASA के मिशन के साथ रोवर को चांद की सतह पर उतारने का काम किया है.

अपेक्षित गति से 22 गुना तेज जा रहा था विक्रम लैंडर
ब्राउन ने विक्रम लैंडर के बारे में कहा है कि चाहे लैंडिंग सफल न रही हो लेकिन यह एक महान पहला प्रयास था. आप बिना बहुत सी चीजें सीखे, इतने करीब भी नहीं पहुंच सकते जो आपको अगली बार मदद करेंगीं

वहीं डच इंस्टीट्यूट के अंतरिक्ष यातरी सीस बस्सा जो इस मिशन के साथ जुड़े हुए थे, उन्होंने माना है कि कुछ तो गलत हुआ. उन्होंने डॉप्लर डाटा (Dopplar Data) का अध्ययन करके बताया कि विक्रम को 5 मील/घंटे की गति से चंद्रमा की सतह पर पहुंचना था लेकिन वह 110 मील/घंटे की गति से आगे बढ़ रहा था.

इसरो ने सफलतापूर्वक पूरे कर लिए थे कई चरण
चंद्रमा पर भारत का दूसरा मिशन- चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के दो भाग थे: एक ऑर्बिटर जिसे ऑर्बिट में रहते हुए सात साल तक रिसर्च करनी थी और एक लैंडर जिसका नाम विक्रम था (जिसमें एक रोवर, प्रज्ञान भी था).

लैंडर और ऑर्बिटर पिछले हफ्ते ही अलग हो गए थे और ऑर्बिटर को चांद से 60 मील ऊपर की कक्षा में स्थापित कर दिया गया था और लैंडर भी एक वक्रीय रास्ते पर चलता हुआ चंद्रमा से मात्र 20 मील की ऊंचाई तक पहुंच चुका था.
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