नई दिल्ली. आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए देश के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 1,00,000 का आंकड़ा पार कर चुके हैं और एशिया में कोरोना वायरस  यहां सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है.

जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, 130 करोड़ लोगों के देश में 101,328 लोग संक्रमित थे, जिसमें मंगलवार तक 3,000 से अधिक की मौत हो चुकी थीं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मंगलवार को 5,242 नए मामले सामने आये थे.

पाकिस्तान के मुकाबले तेजी से बढ़े पिछले हफ्ते में कोरोना के मामले
ब्लूमबर्ग के कोरोना वायरस ट्रैकर के अनुसार पिछले हफ्ते से मामलों में 28% की वृद्धि के साथ भारत अब सबसे बुरी तरह से महामारी की चपेट में आने वाले देशों में से है. पड़ोसी पाकिस्तान में 903 मौतों सहित 42,125 मामले हैं. ट्रैकर के मुताबिक इसी अवधि में पाकिस्तान के मामलों में 19% की बढ़ोत्तरी हुई है.

अर्थव्यवस्था को खोले जाने से संक्रमण के मामलों में बढोत्तरी होगी, इस बात को जोड़ते हुए पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के एडिशनल प्रोफेसर राजमोहन पंडा ने कहा, "चुनौतियां बड़ी हैं लेकिन दो-तरफा रणनीति संक्रमणों को कम करने और कर्व को फ्लैट करने में मदद करेगी." उन्होंने कहा, "उप जिला स्तरीय नियंत्रण उपायों पर जोर देने के साथ, अब कम आय वाली बस्तियों पर ध्यान देने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए."

चार दशकों में पहली बार सिकुड़ सकती है अर्थव्यवस्था
सोमवार से, राज्यों ने उद्योगों, दुकानों और कार्यालयों के लिए प्रतिबंधों में ज्यादा छूट दी है और सार्वजनिक परिवहन को फिर से खोल दिया है. हालांकि देश के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में लॉकडाउन में ही रखा गया है. वहीं अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा पर प्रतिबंध को 31 मई तक बढ़ा दिया गया है. सरकार दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन  के आर्थिक प्रभाव को कम करने की उम्मीद कर रही है, जिसने व्यावसायिक गतिविधि को अपंग कर दिया है और लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया है.

फिर भी, कंपनियों को कारखानों को फिर से खोलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. मुख्य रूप से यात्रा प्रतिबंधों, परस्पर विरोधी नियमों, टूटी आपूर्ति श्रृंखलाओं और श्रमिकों की कमी के कारण ऐसा हो रहा है. उन शहरों से लाखों प्रवासी कामगारों का अपनी नौकरियां छोड़कर या न होने के चलते अपने गृहनगर, गांव चले जाना और उनकी वापसी की अनिच्छा ऐसी वजहें हैं, जिनके चलते अर्थव्यवस्था (Economy) के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक खड़ी हो सकती है, जो कम से कम पिछले चार दशक में पहली बार देश की अर्थव्यवस्था के संकुचन के लिए जिम्मेदार हो सकती है.
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