नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ जंग में पूरी दुनिया एकजुट है। यह बात सच है कि इस वायरस की चपेट में 47 लाख से ज्यादा आबादी है और तीन लाख से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके हैं। लेकिन अमेरिका में वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल प्रारंभिक स्टेज कामयाब हुआ है। इसके साथ ही मंगलवार को यह साफ हो गया कि कोरोना संकट और विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका की जांच कराई जाएगी और यह सच्चाई दुनिया के सामने आ सके कि आखिर लापरवाही चीन की थी या विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी जारी करने में देर कर दी।

भारत को एग्जीक्यूटीव बोर्ड की मिलेगी कमान
इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन की जिम्मेदारी मिलनी तय हो गई है। इस संबंध में 22 मई को भारत का इसके लिए चुनाव किया जाएगा।  इस संबंध में मंगलवार को बैठक हुई थी जिसमें भारत को जिम्मेदारी देने का फैसला किया गया। ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय यूनियन की तरफ से विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वतंत्र जांच की मांग की थी जिसे भारत का समर्थन भी हासिल था। 

WHO पर ट्रंप पहले से ही खफा
यहां यह समझना जरूरी है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बार बार यह कहते हैं कि डब्ल्यूएचओ की भूमिका संदेह के घेरे में हैं और इसके लिए उन्हें आगे आना चाहिए। उनका तो सिर्फ एक ही सवाल है कि जब दिसंबर 2019 में चीन में कोरोना का मामले सामने आया तो उसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से जानकारी में एक महीने की देरी क्यों की गई। ट्रंप की नाराजगी का आलम यह था कि डब्ल्यूएचओ की आंशिक फंडिंग अमेरिका ने रोक दी है और एक बार फिर चेतावनी दी कि वो सच सच बताएं नहीं तो पूरी फंडिंग रोक देंगे।
Share To:

Post A Comment:

0 comments so far,add yours