नई दिल्ली। साइबर फ्रॉड की खबर आजकल आम हो गई हैं. कोरोना वायरस के बीच ऐसी खबरें तेज हो गई हैं और हैकर्स फ्रॉड करने का नया-नया तरीका अपना रहे हैं. कुछ समय से हैकिंग को लेकर जो तरीका बार-बार सामने आ रहा है, वह है सिम स्वैपिंग का. इसी बीच नोएडा से भी ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें जालसाजों ने एक महिला को 9 लाख रुपये की चपत लगा दी है. दरअसल हैकर्स ने महिला को कस्टमर केयर एग्जिक्यूटिव के तौर पर कॉल करके सिम को 3G से 4G में कन्वर्ट करने का झांसा दिया था. पता चला है कि ऐसा सिम स्वैपिंग का सहारा लेकर किया गया है. आइए जानते हैं क्या होती है SIM स्वैपिंग...

क्या होता हैं सिम स्वैप- हैकर्स खुद को टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बताकर आपका 20 अंकों वाला सिम कार्ड नंबर लेते हैं. जिसके बाद किसी खास सर्विस के लिए आपको एक नंबर दबाकर रिप्लाई करने को कहा जाता है. जैसे ही आप ये नंबर दबाते हैं आपके मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है और यहीं से सिम स्वैप का डर्टी गेम शुरू होता  है.

इस तरह से लगाते हैं चूना-
जैसे ही आप हैकर्स को अपना सिम नंबर देते हैं वो आपका डुप्लीकेट सिम बना लेता है.

>> जब आप खास मैसेज पर रिप्लाई करते हैं तो कंपनी को लगता है कि आपने नए सिम के लिए अप्लाई किया है.

>> ये सब कुछ होने में 2-3 घंटे का वक्त लगता है. उस बीच चालाक हैकर्स आपको लगतार कॉल करते हैं ताकि आप परेशान होकर या तो फोन बंद कर दें या फिर उसे म्यूट कर दें और आपको किसी तरह का कोई मैसेज अपने सर्विस प्रोवाइडर से न मिले.

>> एक बार सिम स्वैप सक्सेसफुल हुआ तो फिर आपको वो कभी पता नहीं लगेगा.

>> इस तरह के फ्रॉड में हैकर्स के पास आपका बैंक अकाउंट नंबर या एटीएम कार्ड नंबर पहले से होता है, जो वो फिशिंग के जरिए हासिल कर चुका होता है.

>> बस जरूरत होती है तो ओटीपी की जो आपके सिम स्वैप करने से मिल जाता है.

>> OTP हासिल होते ही आपकी मेहनत की कमाई मिनटों में उड़ जाती है.

>> ये हैकर्स इतने चालाक होते हैं कि कई बार फोन करके तो ये आपको इतना परेशान कर देते हैं कि आप गुस्से में आकर फोन ही बंद कर देते हैं.

>> इसी का वो इंतजार करते हैं ताकि पैसे उड़ाने पर आपके नंबर पर बैंक के मैसेज ना आएं

>> जिसके बाद आपका सिम बंद हो जाता है. ठीक उसी समय हैकर्स के पास मौजूद आपके डुप्लीकेट सिम पर नेटवर्क आ जाता है.
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