नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में महीने भर से जारी सीमा गतिरोध को हल करने के अपने पहले बड़े प्रयास के तहत भारत और चीन की सेनाएं शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर बातचीत करेंगी। इस बीच, दोनों देशों ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में अपने सैन्य गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से शुक्रवार को राजनयिक वार्ता की। दोनों देशों ने एक दूसरे की संवेदनशीलता, चिंता एवं आकांक्षाओं का सम्मान करने तथा इन्हें विवाद नहीं बनने देने पर भी सहमति जतायी।

कमांडर स्तर की बातचीत
बातचीत में दोनों पक्ष, दोनों देशों के नेतृत्वों द्वारा दिये गये मार्गदर्शन के मुताबिक मतभेदों को दूर करने पर सहमत हुए। वहीं, चीन ने बीजिंग में कहा है कि दोनों देशों को एक दूसरे के लिये खतरा पैदा नहीं करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच 2018 में चीनी शहर वुहान में हुई एक अनौपचारिक शिखर बैठक में लिये गये फैसलों के संदर्भ में यह कहा गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे। सिंह लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग हैं। चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिला कमांडर करेंगे।

यह बातचीत पूर्वी लद्दाख के चुशूल सेक्टर में, मालदो में सीमा कर्मी बैठक स्थान पर सुबह करीब आठ बजे से होगी। सूत्रों ने कहा कि भारत को बैठक से किसी ठोस नतीजे की उम्मीद नहीं है लेकिन वह इसे महत्वपूर्ण मानता है क्योंकि उच्च-स्तरीय सैन्य संवाद गतिरोध के हल के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है। दोनों पक्षों के मध्य पहले ही स्थानीय कमांडरों के बीच कम से कम 12 दौर की तथा मेजर जनरल स्तरीय अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन चर्चा से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला।  एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने पीटीआई, ‘‘बातचीत में हमारे लिये एकसूत्री एजेंडा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं स्थिरता वापस लाना है। हम इसे हासिल करने के लिये विशेष उपाय का सुझा देंगे, जिनमें पांच मई से पहले की स्थिति में लौटना शामिल होगा।’’

पांच मई को शुरू हुआ था गतिरोध
 यह गतिरोध पांच मई को पैंगोंग त्सो में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पें होने के बाद शुरू हुआ था। समझा जाता है कि थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने वार्ता से पहले पूर्वी लद्दाख में शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ व्यापक समीक्षा की। उधर, बीजिंग में चीन ने शुक्रवार को दोनों देशों के वरिष्ठ राजनयिकों के बीच हुई वार्ता का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के लिये खतरा पैदा नहीं करना चाहिए और अपने मतभेदों को विवाद में में तब्दील नहीं होने देना चाहिए। एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों पक्षों को रणनीतिक परस्पर विश्वास बढ़ाना चाहिए, परस्पर लाभकारी सहयोग को मजबूत करना चाहिए, मतभदों को उपयुक्त रूप से दूर करना चाहिए और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 70 वीं वर्षगांठ के समारोहों को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि भारत-चीन संबंध सही दिशा में आगे बढ़ सके।

चीन बोला संचार कायम रखेंगे
 लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर वार्ता के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बीजिंग में प्रेस वार्ता में कहा, ‘हमारे पास सीमा संबंधी पूर्ण तंत्र है और हम सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से करीबी संचार कायम रखेंगे।’ सूत्रों ने कहा कि भारत इस बैठक से कोई ‘‘ठोस नतीजे’’ की उम्मीद नहीं कर रहा है लेकिन इसे महत्वपूर्ण समझता है क्योंकि उच्च स्तर की सैन्य वार्ता तनावपूर्ण गतिरोध का बातचीत वाले किसी समाधान का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उम्मीद है कि शनिवार की बैठक में भारतीय पक्ष पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में यथास्थिति बहाल रखने पर जोर देगा, ताकि पांच मई को दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प के बाद चीन द्वारा बनाए गए अस्थायी शिविरों को हटाते हुए तनाव में धीरे-धीरे कमी लायी जा सके।
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