महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की तर्ज पर एक अनुसूचित जनजाति आयोग स्थापित करने की घोषणा की है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को घोषणा की कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग  की तर्ज पर राज्य में एक अनुसूचित जनजाति आयोग स्थापित किया जाएगा. शिंदे ने आदिवासी समुदाय की बड़ी आबादी वाले ऐसे गांवों की संख्या बढ़ाने पर भी संकेत दिया जो पहले किसी सरकारी योजना में शामिल नहीं थे. एक बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और संबंधित मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्य के अनेक हिस्सों में आदिवासी जनसंख्या के मौजूदा स्तर की समीक्षा करने का आदेश दिया.

एक विशेष आयोग गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी
इसमें कहा गया कि समीक्षा के बाद, गांवों के साथ नए क्षेत्रों को ‘आकांक्षी’ जिलों के रूप में अधिसूचित किया जाएगा, जिससे आदिवासियों की बड़ी आबादी वाले गांवों की संख्या में मौजूदा गांवों की तुलना में वृद्धि हो सकती है. एक अधिकारी ने बताया कि बैठक में शिंदे ने अनुसूचित जनजातियों के लिए एक विशेष आयोग गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जो एक वैधानिक निकाय होगा.

मुंबई में हुई राज्य जनजाति सलाहकार परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. इसके साथ ही बैठक में राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के पुनर्गठन, जनसंख्या के अनुसार धन का प्रावधान, आदिवासी जिलों के तालुकाओं में परियोजना कार्यालय शुरू करने जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई. बयान में कहा गया है, मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जनजाति विभाग के लिए आवंटित राशि का दुरुपयोग नहीं करने का भी निर्देश दिया. चर्चा किए गए मुद्दों में से एक धन की उपलब्धता थी. यह निर्देश दिया गया था कि विभाग का पूरा बजट दिसंबर के अंत तक जारी किया जाना है.”

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