साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगा था, जो एक पूर्ण सूर्य ग्रहण था. अब 14 अक्टूबर को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. भारत में ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं.
14 अक्टूबर को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व होता है. धर्म और ज्योतिष में इसे एक अशुभ घटना माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण दौरान सूर्य ग्रसित हो जाता है और इसकी नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है. साल 2023 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को अश्विन अमावस्या के दिन लग रहा है. यह ग्रहण शनिवार की रात 8:34 से शुरू होगा और मध्य रात्रि 2:25 पर समाप्त होगा. यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा.
इन जगहों पर दिखाई देगा ग्रहण
साल 2023 का अंतिम ग्रहण 14 अक्टूबर को अश्विन अमावस्या के दिन लगेगा. यह ग्रहण पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक और आर्कटिक जैसे देशों में देखा जा सकेगा. साल का अंतिम सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा. यह ग्रहण टेक्सास से शुरू होकर मेक्सिको के साथ ही मध्य अमेरिका, कोलंबिया और ब्राजील के कुछ हिस्सों से होकर गुजरता हुआ अलास्का और अर्जेंटीना में ही दिखाई देगा. भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा लेकिन इसे आप ऑनलाइन लाइव देख सकते हैं. वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट के जरिए आप इस ग्रहण को देख सकते हैं. इसके अलावा नासा की वेबसाइट और इसके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी आप लाइव कवरेज देख सकते हैं.
क्या होता है सूर्य ग्रहण
हिंदू धर्म में ग्रहण का बड़ा महत्व है. खगोलीय और धार्मिक दोनों दृष्टियों से सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रौशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है. इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है. कंकणाकृती सूर्यग्रहण वह कहलाता है, जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी इतनी होती है कि चंद्रमा सूर्य के एकदम बीचो-बीच आ जाता है, ऐसी स्थिति में सूर्य के चारों तरफ एक रिंगनुमा आकृति बन जाती है, इस ग्रहण को वलयाकार सूर्यग्रहण भी कहा जाता है.
ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं
ग्रहण से कई तरह की धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. सूर्य ग्रहण में सूतक काल ग्रहण शुरू होने के 12 घंटे पहले ही लग जाता है. ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक काल को अशुभ समय माना जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक के दौरान पृथ्वी का वातावरण दूषित होता है और उसके हानिकारक दुष्प्रभाव से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी होती है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ग्रहण के सूतक काल का बड़ा महत्व होता है, इसलिए इस दौरान कुछ भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
सूतक काल में पूजा-पाठ करना वर्जित माना जाता है. हालांकि सूतक काल तब लगता है जब ग्रहण दिखाई देता है. साल का आखिरी ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा. इस कारण भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. सूतक काल ना माने जाने की वजह से यहां पूजा-पाठ जैसे कार्य किए जा सकते हैं.
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