नई दिल्ली, 27 जुलाई 2018 I 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण (Longest total lunar eclipse) आज यानी 27 जुलाई को लग रहा है. इस पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हैं. भारत में पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा. देशभर के कई इलाके में पूर्ण चंद्रग्रहण को देखने के लिए कई तरह के इंतजाम किए गए हैं. बताया जा रहा है कि भारत में चंद्रग्रहण का असर देर रात 10.53 बजे से ही दिखना शुरू हो जाएगा.

समय के साथ बदलेगा चांद का आकार
भारत में देर रात से चंद्रग्रहण (Chandra grahan) का असर दिखना शुरू हो जाएगा. धीरे-धीरे चांद का रंग लाल होता जाएगा और एक समय ऐसा आएगा जब चांद पूरी तरह से गायब हो जाएगा.

शुक्रवार देर रात 10.53 बजे - चांद पर ग्रहण का असर शुरू होगा, हालांकि नंगी आंखों से कुछ नहीं दिखेगा.

11.54 बजे - धीरे-धीरे ग्रहण का असर नंगी आंखों से देख पाएंगे.

देर रात 1.51 बजे - चंद्रग्रहण अपने सर्वोच्च स्तर पर होगा, ये ही पूर्ण चंद्रग्रहण होगा.

2.43 बजे - धीरे-धीरे ग्रहण का असर कम होगा.

शनिवार सुबह 5.00 बजे - चंद्रग्रहण का असर खत्म होगा.

चंद्रग्रहण के कारण ही देशभर के कई बड़े मंदिर दोपहर बाद ही बंद हो जाएंगे. हरिद्वार, वाराणसी और इलाहाबाद में हर शाम होने वाली गंगा आरती भी दोपहर को होगी. चंद्रग्रहण के कारण ही दोपहर एक बजे गंगा आरती का विशेष आयोजन किया जाएगा. देश के कई बड़े मंदिरों में दोपहर दो बजे के बाद दर्शन नहीं हो पाएंगे.

दोपहर बाद बंद होंगे केदारनाथ-बदरीनाथ के कपाट
बदरीनाथ और केदारनाथ मन्दिर के कपाट शुक्रवार दोपहर से शनिवार सुबह तक बन्द रहेंगे. ऐसा चंद्रग्रहण के कारण हो रहा है. चंद्रग्रहण की अवधि में मन्दिर में पूजा पाठ भी नहीं होगी. श्री बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति के पीआरओ डा. हरीश गौड ने यह जानकारी देते हुए बताया कि चंद्र ग्रहण के सूतक काल से पहले 27 जुलाई को श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट दिन में 12 बजकर 30 मिनट एवं श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट दिन में 2 बजकर 54 मिनट पर बंद हो जाएंगे.

दूसरे दिन सुबह ग्रहण समाप्त होने के बाद नियमित पूजा अर्चना के लिए उन्हें फिर से खोल दिए जायेंगे. चंद्र ग्रहण का आरंभ रात्रि 11 बजकर 54 मिनट पर हो रहा है, ग्रहण काल 28 जुलाई प्रात: 3 बजकर 49 मिनट तक रहेगा, 28 जुलाई को श्री बदरीनाथ मंदिर एवं श्री केदारनाथ मंदिर प्रात: काल अपने निर्धारित समय पर दर्शनार्थ खुलेंगे.

चंद्र ग्रहण क्यों होता है?
इसका सीधा सा जवाब है कि चंद्रमा का पृथ्वी की ओट में आ जाना. उस स्थिति में सूर्य एक तरफ, चंद्रमा दूसरी तरफ और पृथ्वी बीच में होती है. जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है.

चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है
चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना. यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है. यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी सच है.
सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार के मुकाबले लगभग 4 गुना कम है. इसकी छाया पृथ्वी पर छोटी आकार की पड़ती है इसीलिए पूर्णता की स्थिति में सूर्य ग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है. लेकिन चंद्र ग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चंद्रमा के मुकाबले काफी बड़ी होती है. लिहाजा इससे गुजरने में चंद्रमा को ज्यादा वक्त लगता है.
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