अटल बिहारी वाजपेयी ने जापान के हिरोशिमा, नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम की त्रासदी पर ‘हिरोशिमा की पीड़ा’ नामक कविता लिखी थी. वह कविता इस तरह से है-

किसी रात को/मेरी नींद चानक उचट जाती है/आँख खुल जाती है/

मैं सोचने लगता हूँ कि/ जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का/ आविष्कार किया था/

वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण/नरसंहार के समाचार सुनकर/ रात को कैसे सोए होंगे?

क्या उन्हें एक क्षण के लिए सही/ये अनुभूति नहीं हुई कि/ उनके हाथों जो कुछ हुआ/अच्छा नहीं हुआ!

इन लाइनों को लिखने वाले कवि और राजनेता वाजपेयी जब मई 1998 में परमाणु परीक्षण करने के बाद 21 फरवरी 1999 को पाकिस्तान यात्रा पर गए तो लाहौर में उनकी कविता की याद दिलाई गई. पाकिस्तान के लोगों ने बौखलाहट में सवाल किए. इस पर उन्होंने भारत के परमाणु परीक्षण पर पाकिस्तानियों को जवाब देकर उनके मुंह बंद करा दिए थे.
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