नई दिल्ली I तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा को रोकने के मकसद से लाया गया मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2018 गुरुवार को लोकसभा में पास हो गया. 5 घंटे चली चर्चा के बाद विधेयक के पक्ष में 245 और विरोध में 11 वोट पड़े, जबकि वोटिंग के दौरान कांग्रेस, एआईएडीएमके, डीएमके और समाजवादी पार्टी ने वॉक आउट कर दिया. संसद के निचले सदन में केंद्र सरकार के पास स्पष्ट बहुमत होने के चलते यह तय माना जा रहा था कि यह बिल लोकसभा में पास हो जाएगा. लेकिन विपक्षी दलों समेत अहम मुद्दों पर केंद्र का साथ देने वाली एआईएडीएमके का वॉक आउट करना यह संकेत दे गया कि यह विधेयक राज्यसभा में एक बार फिर अटक सकता है.
अगस्त, 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तलाक-ए-बिद्दत की प्रथा को असंवैधानिक करार देते हुए सरकार को कानून बनाने को कहा था. सरकार ने दिसंबर, 2017 में लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लोकसभा से पारित कराया, लेकिन यह बिल राज्यसभा में अटक गया क्योंकि उच्च सदन सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है.

विपक्ष की मांग थी कि तीन तलाक में जमानत का भी प्रावधान हो. लिहाजा, अगस्त में विधेयक में संशोधन किए गए, लेकिन एक बार फिर यह विधेयक राज्यसभा में अटक गया. इसके बाद सितंबर में सरकार अध्यादेश लेकर आई. चूंकि, अध्यादेश की अवधि 6 महीने होती है लिहाजा यह बिल एक बार फिर संशोधन के साथ लोकसभा में लाया गाया. अब सरकार के सामने सबसे बड़ा टेस्ट राज्यसभा में है क्योंकि उच्च सदन में अभी भी सरकार के पास विधेयक को पास कराने के लिए संख्या बल नहीं है.

पिछली बार जब यह बिल राज्यसभा में आया था तो इसे कुछ संशोधन के साथ सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया गया था. हालांकि इस विधेयक का कांग्रेस ने समर्थन किया था लेकिन उसकी मांग थी कि बिल में कुछ अहम संशोधन किए जाएं. अब जब तीन तलाक विधेयक दोबारा लोकसभा में आया तो कांग्रेस इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए वॉक आउट कर गई. कांग्रेस का वॉकआउट करना सरकार के लिए इतना बड़ा मसला नहीं है जितना कि एआईएडीएमके के वॉकआउट करने का है. क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कठिन परिस्थितियों एआईएडीएमके ने सरकार का साथ दिया है.

क्या कहता है राज्यसभा का गणित ?
राज्यसभा में फिलहाल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास 86 सांसद हैं, जिसमें बीजेपी के 73, जेडीयू के 6, शिवसेना के 3, अकाली दल के 3 और आरपीआई के 1 सांसद शामिल हैं. वहीं विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के 50, समाजवादी पार्टी के 13, टीएमसी के 13, सीपीएम के 5, एनसीपी के 4, एनसीपी के 4, बीएसपी के 4, सीपीआई के 2 और पीडीपी के 2 सांसद शामिल हैं. इस विपक्ष के पास 97 सांसद हैं.  

जबकि राज्यसभा में वो दल जो किसी खेमे में नहीं है और हालात देखकर अपना रुख तय करते हैं उनमें टीआरएस के 6, बीजेडी के 9 और एआईएडीएमके के 13 सांसद हैं. अब लोकसभा से वॉकआउट करने के बाद सरकार के समक्ष सवाल खड़ा हो गया कि उच्च सदन में एआईएडीएमके का क्या रुख रहेगा.
लोकसभा से वॉकआउट करने वाले सांसदों की मांग थी कि बिल पर विस्तृत चर्चा के लिए दोनों सदनों की संयुक्त सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. इन दलों का सवाल है कि तीन तलाक को अपराध क्यों माना जाए? साथ ही जिस व्यक्ति को इस अपराध में सजा मिलनी है उसके परिवार का ध्यान क्यों नहीं रखा गया.
तीन तलाक बिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक अहम विधेयक है जिसे वे तमाम रैलियों केंद्र सरकार की उपलब्धि और नारी सशक्तिकरण की दिशा में बहुत बड़ा कदम बताते रहे हैं. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी इस उपलब्धि का तमगा लेकर जनता के बीच जाना चाहेगी. अब पहली समस्या यह है कि मौजूदा संसद सत्र 8 जनवरी तक ही चलना है और अगर इस बार भी बिल राज्यसभा में अटक जाता है तो सरकार को दोबारा अध्यादेश लाना पड़ेगा. चूंकि, यह अंतिम सत्र है लिहाजा नई सरकार और नई संसद के समक्ष ही इस बिल को दोबारा लाया जा सकेगा. 
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