नई दिल्ली I आखिरकार मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया गया. लंबे समय से भारत इस कोशिश में था कि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाए जिसमें शुरुआती कई नाकामियों के बाद भारत को उस समय कामयाबी मिली जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने बुधवार को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया. आइए, जानते हैं कि किन वजहों से चीन को झुकना पड़ा और भारत को यह बड़ी कामयाबी मिली.

यूएनएससी में मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगने के बाद विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई भारत के रुख के अनुसार हुआ है. भारत द्वारा सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के सदस्यों के साथ साझा की गई सूचनाओं के आधार पर ही यह कार्रवाई की गई है. मसूद अजहर पर वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के मामले में चीन हमेशा से अडंगा डालता रहा है, लेकिन इस बार उसे अपनी हार माननी ही पड़ी.

भारत की कूटनीतिक कोशिश

14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने वैश्विक स्तर पर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने को लेकर अपनी कोशिश शुरू कर दी थी. भारत ने दुनिया के कई देशों में मसूद अजहर और उसके आतंकी गतिविधियों को लेकर जानकारी साझा करना शुरू कर दिया था. भारत ने इस सिलसिले में कई देशों में अपने विशेष प्रतिनिधि भेजे. साथ ही कई देशों के साथ इस संबंध में द्वीपक्षीय वार्ता के जरिए दबाव बनाता रहा.

मसूद अजहर को लेकर भारत को सबसे बड़ी कामयाबी मार्च के दूसरे हफ्ते में उस समय मिली जब चीन ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी करार देने से पहले गंभीर चर्चा किए जाने की जरूरत पर जोर दिया था. इसके जवाब में अमेरिका ने चीन से कहा था कि अगर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं किया जाता तो इसका असर क्षेत्रीय शांति पर पड़ेगा.

मसूद अजहर के खिलाफ जब 13 मार्च, 2019 को यूएनएससी में प्रस्ताव पारित नहीं हो सका तो अमेरिका की ओर से यह कहा गया कि वह दूसरे रास्ते पर विचार कर रहा है. फ्रांस ने भी यह कहा कि वह जैश सरगना पर अंकुश लगाने के लिए दूसरे विकल्पों में सहयोग करने को तैयार है.

चीन इससे पहले तीन मौकों पर प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति दर्ज कराकर खारिज करा चुका था. लेकिन चीन की ओर से गंभीर चर्चा किए जाने संबंधी बयान के बाद अमेरिका ने भारत का साथ दिया. इसके बाद फ्रांस और इंग्लैंड भी इसके समर्थन में आ गए. यूएनएससी में अमेरिका, फ्रांस और इंग्लैंड लगातार इस पर एक राय रहे.

चीन का डर

दूसरी ओर, चीन पर लगातार अंतरराष्ट्रीय प्रेशर बन रहा था. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चीन की तरह स्थायी सदस्य और करीबी दोस्त रूस ने भी चीन पर खासा दबाव बनाया. रूस ने चीन पर मसूद अजहर के खिलाफ लगातार दबाव बनाए रखा और उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित करने को लेकर अपनी रजामंदी दे दे. रूस के अलावा इंडोनेशिया ने भी इस मामले में अपनी अहम भूमिका निभाई.

चीन को यह डर भी सता रहा था कि अगर वह मसूद अजहर को बचाता है तो वैश्विक स्तर पर यह संदेश जाएगा कि वह आतंक को पनाह देने वाले देश पाकिस्तान को बचाने की कोशिश कर रहा है. इससे उसकी छवि पर भी असर पड़ सकता था. साथ ही पुलवामा हमले के बाद भारत की ओर से किए गए बालाकोट स्ट्राइक पर वैश्विक स्तर सकारात्मक प्रतिक्रिया ने भी चीन को अपने फैसले पर पुर्नविचार करने को मजबूर कर दिया.

वहीं, चीन को भी आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जनमत में खुद के अलग-थलग पड़ जाने का डर सताने लगा. उसने पहले ही संकेत दे दिया था कि वह अपने रूख में बदलाव कर सकता है.

सोशल मीडिया का खौफ

मार्च में भारत ने मसूद अजहर के मामले में चीन के 'तकनीकी रोक' पर पड़ोसी मुल्क को आगाह करते हुए कहा कि घरेलू सोशल मीडिया में चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर अभियान चल रहा है. चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर हैशटैग चीन और बॉयकाट चीनी प्रॉडक्टस के साथ भारतीय सोशल मीडिया में यह ट्रेंड कर रहा है. मार्च 2018 तक भारत और चीन में 89.71 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है जिसमें चीन का शेयर काफी ज्यादा है.

मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने को लेकर एक प्रस्ताव यूएनएससी प्रतिबंध समिति 1267 में लाया गया था. इससे करीब तीन महीने पहले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कश्मीर के पुलवामा जिले में आत्मघाती हमला किया था. वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रस्ताव पर चीन बार-बार अड़ंगा लगा देता था, लेकिन उसने बुधवार को मामले में अपनी 'तकनीकी रोक' हटा ली.  

अजहर पर कब कब प्रस्ताव

साल 2009 में मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ये प्रस्ताव पेश किया गया था. फिर साल 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद भारत ने फिर इस प्रस्ताव को पेश किया.

साल 2017 में जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के कैंप में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने फिर ये प्रस्ताव यूएनएससी में पेश किया और इन तीनों ही बार चीन ने ये कहते हुए 'तकनीकी रोक' लगा दिया और कहा कि उसे इस मुद्दे को समझने के लिए और समय चाहिए. 13 मार्च 2019 को एक बार फिर चीन ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने पर अपना वीटो लगा दिया था.
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