नयी दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कैलास मानसरोवर यात्रा की शुरुआत की घोषणा की और कहा कि तीर्थयात्रा लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने तथा भारत और चीन के बीच मित्रता एवं समझ को मजबूत करने की दिशा में एक 'महत्वपूर्ण कदम' है।
उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे के रास्ते हर साल होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा बुधवार से शुरू हो रही है जिसके तहत 59 श्रद्धालुओं का पहला जत्था नई दिल्ली से बुधवार को अल्मोड़ा पहुंचेगा। अधिकारियों ने बताया कि यात्रा से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं और यात्रा की नोडल एजेंसी कुमांऊ मंडल विकास निगम(केएमवीएन) का कैटरिंग स्टॉफ बूंदी से लेकर नाभीडांग तक के रास्ते में पड़ने वाले सभी शिविरों में तैनात कर दिया गया है। 
निगम के महाप्रबंधक और यात्रा के प्रभारी अशोक जोशी ने बताया कि सभी शिविरों में यात्रियों को कुमांउनी और दक्षिण भारतीय भोजन उपलब्ध कराया जायेगा । गुंजी तक श्रद्धालुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी उत्तराखंड पुलिस की होगी और उसके बाद यह जिम्मा भारत—तिब्बत सीमा पुलिस लेगी। उन्होंने बताया कि तीर्थयात्रियों को चिकित्सकीय सुविधायें पिथौरागढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी उपलब्ध करायेंगे । हर जत्थे को एक चिकित्सक और एक फार्मासिस्ट की टीम उपलब्ध करायी जायेगी। 
अधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं के जत्थे नयी दिल्ली से वोल्वो बस द्वारा काठगोदाम रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे, जहां से उन्हें अल्मोड़ा में एक दिन के विश्राम के बाद एयर कंडीशंड बसों से धारचूला आधार शिविर पहुंचाया जायेगा। वहां से उन्हें 55 किलोमीटर दूर नजंग पुल तक जीप से ले जाया जायेगा। इस पुल से यात्री पैदल चलकर बूंदी शिविर पहुंचेंगे जहां उनका रात्रि विश्राम होगा।
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