नई दिल्ली I देश में कोरोना वायरस तीन लाख से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है. केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कोरोना वायरस को हराने के लिए लगातार काम कर रही हैं. हालांकि इस बीच अब पीएम केयर्स फंड को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. वहीं अब पीएम केयर्स फंड का ऑडिट किया जाएगा.

विवादों और अदालती मामले से जूझते हुए मोदी सरकार ने शुक्रवार को पीएम केयर्स फंड की जानकारी अपडेट करने के लिए एक स्वतंत्र ऑडिटर की नियुक्ति की है. वहीं दो प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी मानद आधार पर फंड का संचालन करेंगे.

दरअसल, हाल ही में पीएम केयर्स फंड की जानकारी के लिए कोर्ट में आरटीआई दाखिल की गई थी. आरटीआई कार्यकर्ताओं ने पारदर्शिता की कमी का हवाला देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट में भी इस फंड को चुनौती दी थी. हालांकि इन आरटीआई का जवाब नहीं दिया गया.

हालांकि अब आरटीआई आवेदनों में से कुछ प्रश्नों का उत्तर पीएम केयर्स फंड की वेबसाइट पर दिया गया है. इसके मुताबिक यह फंड 27 मार्च को एक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत हुआ था. इसका मुख्य कार्यालय दक्षिण ब्लॉक में पीएम कार्यालय के रूप रजिस्टर है.

ऑनलाइन आरटीआई
बता दें कि आरटीआई के जरिए पीएम केयर्स फंड के बारे में जानकारी मांगी गई थी. हालांकि पीएमओ की ओर से जानकारी देने से इनकार कर दिया गया था. सीपीआईओ की तरफ से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी को ये कहकर खारिज कर दिया गया था कि पीएम केअर्स फंड आरटीआई के दायरे में नहीं आता है.

फंड पर विवाद
हालांकि शुरुआत से ही पीएम केयर्स फंड विवादों से भरा हुआ है. दरअसल, पीएम केयर्स फंड के लिए सीएसआर दान को इजाजत है लेकिन सीएम राहत कोष के लिए नहीं है. इसके अलावा ढाई महीने के बाद भी बोर्ड के ट्रस्टी के नाम सामने नहीं आए हैं. पीएम नेशनल रिलीफ फंड के लिए कोई पीएसयू दान नहीं, लेकिन पीएम केयर्स के लिए इसकी इजाजत है. इसके अलावा विदेशी दान पर भी पारदर्शिता का अभाव है.

दान की अपील
दरअसल, वर्तमान में देश में कोरोना वायरस का कहर देखा जा रहा है. हर रोज नए कोरोना वायरस के मरीजों की पुष्टि हो रही है. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च के महीने में कोरोना महामारी से निपटने के लिए लोगों को पीएम केयर्स फंड में दान देने की अपील की थी.
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