नई दिल्ली I दिल्ली में कोरोना वायरस के हालात को लेकर आज गृहमंत्री अमित शाह ने बैठक बुलाई है. सुबह 11 बजे होने वाली इस उच्च स्तरीय बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल सहित गृह मंत्रालय के अन्य अधिकारी शामिल रहेंगे.

गृह मंत्री की यह बैठक इस मायने में भी खास है, क्योंकि राजधानी में कोरोना के कारण बिगड़ते हालात के पीछे केंद्र, राज्य और एमसीडी प्रशासन के बीच उचित तालमेल न होने की बातें सामने आती रही हैं. दिल्ली सरकार और एमसीडी प्रशासन के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी होता रहा है.

मेयरों के साथ भी करेंगे बैठक
गृह मंत्री अमित शाह ने शाम पांच बजे एक और बैठक बुलाई है. कोरोना हालात को लेकर गृहमंत्री अमित शाह की यह दूसरी बैठक होगी. इसमें दिल्ली नगर निगम के सभी मेयर रहेंगे. इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री और दिल्ली के उप राज्यपाल इस बैठक में शामिल होंगे. बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन भी होंगे.

लगातार बढ़ रहे कोरोना केस
गृह मंत्री ने यह बैठक ऐसे समय बुलाई है, जब दिल्ली में रोजाना कोरोना के मामले 2 हजार से ऊपर आने लगे हैं. शनिवार के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में एक दिन में 2134 नए कोरोना मरीज मिले. इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में अब कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 38,958 हो चुकी है. दिल्ली में इस वायरस की चपेट में आने से अब तक 1271 लोग जान गंवा चुके हैं. एक अच्छी बात यह है कि दिल्ली में अब तक 14945 मरीजों का इलाज किया जा चुका है.

दिल्ली उन राज्यों में शामिल है, जहां कोरोना के हालात गंभीर बने हुए हैं. यहां तक कि इस मामले में कोर्ट तक को दखल देना पड़ा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना मरीजों के लिए वेंटिलेटर और अस्पतालों में बेड बढ़ाए जाएं. कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की थी.

सुनवाई के समय दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया था कि दिल्ली में 9,179 बेड अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के लिए हैं. बाकी बेड अस्पताल में किसी भी आपात स्थिति में इस्तेमाल के लिए खाली हैं.

सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है फटकार
सुप्रीम कोर्ट की ओर से शुक्रवार को दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगी थी. कोरोना वायरस के बढ़ते संकट, अस्पतालों की स्थिति, शवों के साथ बर्ताव को लेकर अदालत ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. अदालत का कहना था कि दिल्ली में जिस तरह से शवों का रखरखाव हो रहा है, वो काफी दुखी करने वाला है.
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