शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की 97वीं जयंती के मौके पर पार्टी के प्रतिद्वंद्वी गुट उनकी असली विरासत को आगे ले जाने का दावा करते दिखे और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मुंबई में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए तथा एक दूसरे पर निशाना साधा. पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद पार्टी दो खेमों में बंट गई और शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने कहा कि ठाकरे एकमात्र ऐसे भारतीय नेता थे जिनसे पाकिस्तान डरता था. उन्होंने कहा कि दिवंगत नेता हिंदुत्व के हिमायती थे, लेकिन उन्हें मुस्लिम समुदाय से कभी नफरत नहीं थी.
बाल ठाकरे की 97वीं जयंती
दक्षिण मुंबई में महाराष्ट्र विधानसभा भवन के सेंट्रल हॉल में बाल ठाकरे की 97वीं जयंती के अवसर पर उनकी तैल चित्र के अनावरण के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवसेना के संस्थापक ने सत्ता हासिल करने के लिए अपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया. बाल ठाकरे के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के सदस्य इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
क्या बोले शिंदे?
शिंदे ने कहा, ‘‘बालासाहेब ठाकरे देश में एकमात्र ऐसे नेता थे जिनसे पाकिस्तान डरता था. वह हिंदुत्व के प्रबल समर्थक थे, लेकिन मुस्लिम समुदाय से कभी नफरत नहीं की. उनका एकमात्र विरोध उन लोगों के लिए था जो भारत में रहते हुए पाकिस्तान की प्रशंसा करते थे.’’
उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री और अब राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और शिवसेना के एक धड़े के प्रमुख उद्धव ठाकरे का नाम लिए बिना मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (बाल ठाकरे ने) सत्ता हासिल करने के लिए अपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया.’’ उद्धव ठाकरे को पिछले साल जून में विधायकों के एक वर्ग द्वारा उनके नेतृत्व के खिलाफ बगावत करने के बाद सत्ता छोड़नी पड़ी थी. उद्धव ने प्रतिद्वंद्वी शिंदे के नेतृत्व वाले खेमे (बालासाहेबांची शिवसेना) पर केवल अपने निजी हितों की रक्षा के लिए काम करने का आरोप लगाया है.
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