एनसीपी पार्टी और चुनाव चिन्ह पर लड़ाई के बीच एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने मांग की है कि यह फैसला एक निश्चित अवधि के भीतर लिया जाना चाहिए.

एनसीपी में पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह का मुद्दा चुनाव आयोग तक चला गया है. अब चुनाव आयोग ही ये फैसला करेगा कि पार्टी का नाम और सिंबल किसे मिलेगा. इस मामले में सुनवाई चल रही है. इस बीच विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर पर एनसीपी चीफ का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि स्पीकर लगातार अपना समय बर्बाद कर रहे हैं और विधानसभा चुनाव तक वह यह फैसला लेंगे. इसलिए हम कोर्ट गए हैं.

शरद पवार ने की ये मांग
सुप्रीम कोर्ट पर भी शरद पवार ने कहा, 'जब हम कोर्ट गए तो देखा कि जानबूझ कर देरी की गई. हमारी मांग है कि यह फैसला एक निश्चित अवधि के भीतर लिया जाना चाहिए.' शरद पवार ने महाराष्ट्र में ड्रग रैकेट पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, नशीली दवाओं की मात्रा बड़े पैमाने पर बढ़ रही है. इसके पीछे कौन है इसका तुरंत पता लगाया जाना चाहिए, क्योंकि पूरे प्रदेश में इस तरह की बात सामने आ रही है. बीजेपी के समर्थन पर पवार ने कहा, 'बीजेपी का समर्थन करना मेरी कभी भूमिका नहीं रही. और अभी भी नहीं.'

क्या बोले शरद पवार?
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को एक निश्चित समय सीमा के भीतर शिवसेना और एनसीपी विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की. उन्होंने कहा कि इस पर देरी हुई है. याचिकाओं पर निर्णय लेने में स्पीकर का हिस्सा था, और यही कारण है कि एनसीपी ने भी शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अयोग्यता की याचिका पर निर्णय लेने में देरी के लिए विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा या पूरी प्रक्रिया निष्फल हो जाएगी. निर्देश होना चाहिए (दिया गया) कि निर्णय एक विशिष्ट समय सीमा में लिया जाना चाहिए और इसमें देरी नहीं की जा सकती. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद एक सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि यही रुख शिवसेना का भी है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में एनसीपी नेता सुप्रिया सुले और जितेंद्र आव्हाड शामिल हुए. बागी विधायकों की अयोग्यता पर शीघ्र निर्णय चाहते हैं.

शिंदे और 15 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं की पहली वास्तविक सुनवाई गुरुवार को विधान भवन में हुई. अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में ठाकरे गुट के सुनील प्रभु ने शिंदे और 15 अन्य के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं दायर की थीं. इस साल जुलाई में, अजित पवार और आठ अन्य एनसीपी विधायक राज्य में शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल हो गए, जिससे शरद पवार द्वारा स्थापित पार्टी में विभाजन हो गया.


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